जिस मंगलोर विधानसभा में जमानत जब्त होने की स्थिति भाजपा की होती थी वहा उन्हें मिले 31 हज़ार से अधिक वोट, यह भाजपा के लिए इस सीट पर किसी जीत से कम नहीं
पढ़े एक रिपोर्ट
मंगलौर विधानसभा सीट राज्य गठन के बाद अस्तित्व में आई थी इससे पूर्व मंगलौर क्षेत्र लक्सर विधानसभा का हिस्सा हुआ करता था राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 और 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में बसपा से काजी निजामुद्दीन ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी। पहली बार उन्होंने लोकदल के प्रत्याशी और दूसरी बार कांग्रेस के हाजी सरवत करीम अंसारी को हराया था. भाजपा दोनों बार चौथे स्थान पर रही थी. इसके बाद वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं ने पाला बदल लिया था. बसपा से दो बार विधायक रहे काजी निजामुद्दीन ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था जबकि हाजी सरवत करीम अंसारी बसपा में शामिल हो गए थे..
हरिद्वार जिले की यह मुस्लिम बहुल सीट भाजपा के लिए हमेशा से अभेद दुर्ग रही है यहां अब तक हुए सभी चुनावों में उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा इस सीट पर भाजपा को इससे पहले अब तक सबसे अधिक 24101 वोट 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले
2024 के लोस चुनाव में उसके वोट घटकर 21000 रह गए थे..
2017 के विधानसभा चुनाव में उसने 16964 वोट ही हासिल किए थे और 2022 में उसे 18763 वोट मिले थे. यानी पांच साल में वह 1799 वोट ही बढ़ा सकी एक भी चुनाव में वह कांग्रेस और बसपा के आसपास भी नजर नहीं आई थी…
हम सभी जानते हैं कि मंगलौर सीट पर मुस्लिम और अनुसूचित जाति के वोट निर्णायक माने जाते हैं। विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी वोट मुस्लिम हैं, जबकि 18 फीसदी अनुसूचित जाति वर्ग के वोट हैं। 32 फीसदी वोट में ओबीसी, गुर्जर, सैनी और अन्य वर्गों के वोट आते हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक होने की वजह से इसी समुदाय के नेता जीतते रहे हैं। 2017 में कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन और 2022 में बसपा के सरबत करीम अंसारी ने चुनाव जीता था सरबत करीम अंसारी के निधन से खाली हुई इस सीट पर बसपा ने उनके बेटे उबैर्दुरहमान को मैदान में उतारा जो इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे इस उपचुनाव में कांग्रेस और बसपा प्रत्याशियों ने संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा को खूब असहज कर भ्रम और झूठ का वातावरण बनाने का प्रयास किया, जबकि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने, नेताओं ने मतदाताओं के बीच जा जाकर कहा कि न तो संविधान बदलने वाला है और न आरक्षण खत्म होने वाला है सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है। यह विपक्ष का झूठा प्रचार है… वहीं भाजपा संगठन से लेकर सरकार ने इस सीट पर दिन-रात पसीना खूब बहाया.. लेकिन उनके कठोर मेहनत, तपस्या के बाद भी भाजपा प्रत्याशी को मात्र 422 वोटो के अंतर से हार का सामना करना पड़ा लेकिन सबसे बड़ी बात यह हे कि भाजपा जहां हमेशा चौथे और तीसरे नंबर पर रहती थी, जहां उसके प्रत्याशी की जमानत जपत होने की नौबत आ जाती थी वहां पर भाजपा के संगठन से लेकर सरकार ने खूब मेहनत करी ओर आज बीजेपी इस सीट पर दूसरे पायदान में आकर खड़ी हो गई.. भाजपा के लिए भविष्य में सुखद तस्वीर है ..
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेसी दुष्प्रचार पर पलटवार करते हुए कहा कि फैजाबाद लोकसभा की अयोध्या विधानसभा में हम जीते हैं और बद्रीनाथ सीट पहले से ही कांग्रेस के पास थी उन्होने मंगलौर की जनता का तो हृदय से आभार व्यक्त करते हैं हुए कि जहां हमारी जमानत जब्त होने की स्थिति होती थी वहां हम उन्हे हराने की स्थिति में पहुंच गए हैं साथ ही मंगलोर की जनता ने कांग्रेस के बाहरी होने के आरोपों को नकारते हुए, भाजपा प्रत्याशी करतार बढाना आशीर्वाद दिया उस ऋण को हमारी सरकार क्षेत्र के विकास की गति तीव्र करके देंगे.जनादेश की समीक्षा हम करेंगे और जो भी कमी पाई जाएगी उसमे सुधार किया जाएगा बाहर से आए पार्टी उम्मीदवारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, राजनैतिक दलों से विभिन्न पार्टियों से लोग आते रहते हैं । जिनमे कुछ को टिकट भी दिया जाता है उनमें कुछ जीत भी जाते हैं और कुछ हार भी जाते हैं। चुनाव नतीजों की समीक्षा की जायेगी और जहां भी कुछ सुधार की गुंजाइश होगी वहां सुधार भी किया जाएगा।
भट्ट ने कांग्रेसी प्रतिक्रिया को लेकर कटाक्ष किया कि सत्ता दल के साथ कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण था। क्योंकि हमारे पास तो दोनों सीटें पहले भी नही थी, लेकिन कांग्रेस के लिए जीतना बहुत जरूरी था । लेकिन कांग्रेस की यह जीत अकेले दम पर नहीं है क्योंकि यूकेडी, वामपंथी समेत तमाम दलों का समर्थन उन्हे था बावजूद इसके कभी बड़े अंतर से जीतने वाली कांग्रेस मात्र 422 मतों के अंतर से भाजपा से जीत पाई है